क्यों जाता हूँ मैं वर्ल्ड स्काउट जम्बूरी में....

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क्यों जाता हूँ मैं वर्ल्ड स्काउट जम्बूरी में....

वर्ल्ड जम्बूरी मैं सिर्फ इसलिए जाता हूँ कि यहां मुलाकात होती है ऐसे स्काउटिंग के दीवानों से जिनकी नसों में रक्त की जगह बहती है स्काउटिंग...जिनके दिलों में रहता है स्काउटिंग आंदोलन के प्रति बेपनाह प्यार,प्यार और प्यार।

मिलिए मार्क से।अमेरिका में डलास में स्काउटिंग करते है।चेपलिन के पद पर जम्बूरी में कार्य कर रहें है।रोज नियम से हमारी यूनिट पर आते हैं हमारी खैरख्वाह पूछते हैं और हमारी जो भी दैनंदिनी समस्या हो उसे बड़े धैर्य के साथ सुनते है और उसके बाद भिड़ जाते है उसके निदान में।4 से 6 घंटे में उसका कुछ न कुछ समाधान लेकर फिर हमारे पास आते हैं।कितनी विनम्रता,कितना प्रेम...मार्क ने जितनी परवाह और प्यार हमें दिया है वह अतुल्य है...अभिभूत हैं हम मार्क की सेवा भावना के।

68 वर्षीय मार्क से जब गुफ्तगू हुई तो पता चला मार्क के घर स्काउटिंग की शुरआत उनके दादा के समय हुई। दादा अमेरिका के स्काउटिंग के सर्वोच्च पुरुस्कार से सम्मानित स्काउट 'ईगल स्काउट' रहे हैं।उनके दादा के 12 पोते-दोयते बाद में 'ईगल स्काउट'(हमारे भारत का स्काउटिंग का सर्वोच्च पुरुस्कार प्रेसिडेंट स्काउट) रहे जिनमें मार्क भी शामिल थे।मार्क के तीन बेटे ईगल स्काउट हैं और अब पोते तैयार हो रहे हैं।यानी कि पूरा खानदान स्काउटिंग से जबरदस्त तरीके से जुड़ा हुआ है।मार्क से मिलकर ऐसा लगा जैसे स्काउटिंग के किसी देवी-देवता से मिलकर आ गए हों।सेल्यूट मार्क आपको व आपके खानदान की इस परंपरा को🙏🙏🙏

आई एस टी के रूप में ग्रुप का प्रतिनिधित्व कर रहे तनय ने मुझे बताया कि सर मुझे अरनेट मम्फोर्ड आई एस टी मिले।पेशे से फुल्टन काउंटी अमेरिका मे न्यायाधीश है।एडवेंचर ज़िप्लाइन पर ड्यूटी निभा रहे थे।इतने मिलनसार और सबकी बड़ी विनम्रता से मदद करने वाले कि पूछिये मत।तनय बोले सर अगर भारत के कोई न्यायाधीश होते तो हम कल्पना भी नही कर सकते थे कि वो इतने सहज रूप में जम्बूरी में स्काउट गाइड के लिए इस तरह सेवा कार्य करेंगे।

वीराय बताते है अमेरिका के ही मिनेसोटा के जान से मुलाकात हुई जो पेशे से इंजीनियर और अरबपति है।वीराय की आंखे चमक उठती है जान के बारे में बाते करते हुए।सर गजब की जिजीविषा हसि उनमें।हमारी टीम के इंचार्ज थे।खुद तो पूरे समय काम मे डूबे रहते थे और हमें भी जुटाये रखते थे।सर पैसो का घमंड तो था ही नहीं उनमें।जिनके हाथ नीचे हजारों काम करते हो वो खुद जूट हुए थे इन बच्चों की सेवा में।

सच इस जम्बूरी में 10000 लोग इंटरनेशनल सर्विस टीम (IST) के रूप में शामिल हुए हैं जिनमें से तकरीबन 6000 लोग 60 वर्ष से ज्यादा उम्र के है।पर काम करने का जज़्बा, जिम्मेदारी और गंभीरता उनमें इतनी है कि पूछिये मत।कितने सिस्टेमेटिक तरीके से उन्हें मिली हार जिम्मेदारी पर पूरी मुस्तैदी से सबकी परवाह करते हुए अपने कार्यों को अंजाम देते है।

सलाम...प्रणाम और साधुवाद इन सभी स्काउट आंदोलन को प्यार करने वाले वालेंटियर्स को जिनकी रात दिन की कड़ी मेहनत के बदौलत स्काउट गाइड बच्चें इतने व्यवस्थित तरीके से जम्बूरी का भरपूर आनंद ले पाते हैं।🙏🙏🙏🙏

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