राष्ट्रपति भवन में वर्ष २००९ के लिए राष्ट्रपति स्काउट एवं गाइड पुरूस्कार प्रमाणपत्र प्रदान किये जाने के अवसर पर भारत की महामहिम राष्ट्रपति श्रीमती प्रतिभा देवीसिंह पाटिल का अभिभाषण...



Victory … Pratibha Patil expresses delight.


राष्ट्रपति भवन में वर्ष २००९ के लिए राष्ट्रपति स्काउट एवं गाइड पुरूस्कार प्रमाणपत्र प्रदान किये जाने के अवसर पर भारत की महामहिम राष्ट्रपति श्रीमती प्रतिभा देवीसिंह पाटिल का अभिभाषण...

नई दिल्ली, १४ जुलाई २०१०

देवियों और सज्जनों...

मैं उन सभी स्काउट,गाइड,रोवर,रेंजर तथा अनुभवी नायकों को बधाई देती हूँ जिन्हें वर्ष २००९ के लिए राष्ट्रपति पुरूस्कार प्रमाण पत्र प्राप्त हुए हैं... वे सभी एक ऐसे संगठन से जुड़े हुए हैं जो कि युवाओं को मन,वचन और कर्म से पवित्र बने रहने तथा विवेकशील नागरिक बनने के लिए प्रोत्साहित करके उनके चरित्र के निर्माण का कार्य करता हैं...दायित्वपूर्ण कार्य करने के लिए युवाओं को तैयार करना निसंदेह एक बेशकीमती राष्ट्रीय सेवा है और मैं इस
कार्य में स्काउट एवं गाइड आन्दोलन की सफलता की कामना करती हूँ...

अपनी उर्जा तथा अपनी स्फूर्ति,अपने सपनो तथा आकांक्षाओं से भरपूर युवक एक ऐसी ताकत है जिनको सही दिशा मिलने से वे किसी भी राष्ट्र के लिए गर्व का विषय बन सकते है...स्वामी विवेकानंद को इस युवा पीढ़ी पर बहुत विश्वास था और वे कहा करते थे " तुम मुझे चंद ऐसे पुरुष और महिलाएं दो जो चरित्रवान और निस्वार्थ हो तो मैं पूरी दुनिया को हिला दूंगा." इस समय भारत की जनसँख्या का बड़ा हिस्सा युवाओं का है और अगले कुछ दशकों तक भारत की जनसँख्या का अधिकांश भाग युवा बना रहेगा...

मुझे विश्वास है कि जब हमारे देश के ५४ करोड़ युवक सुशिक्षित होंगे और वे देश के प्रति सेवा भावना से कृतसंकल्प होकर कार्य करेंगे तो भारत का भविष्य उज्वल होगा...भारतीय युवा देश तथा पूरे विश्व में मानवीय क्रियाकलापों के विभिन्न क्षेत्रों में अपनी क्षमताओं तथा दक्षताओं का प्रदर्शन कर रहे हैं...चाहे पूरी दुनिया में सूचना प्रोद्योगिकी उद्योग हो, अंतर्राष्ट्रीय बैंक हो,वैश्विक वैज्ञानिक संगठन हो अथवा फिर बहुराष्ट्रीय व्यापारिक उद्यम हो, इन सभी में भारतीय युवा कार्य कर रहे है...खेलों में हमारे युवाओं ने अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में विजय हासिल की है तथा पुरुस्कार और पदक लेकर देश का गौरव बढाया है...तथापि हमे इन उपलब्धियों से ही संतुष्ट नहीं हो जाना चाहिए...कड़ी प्रतिस्पर्धा के इस युग में हमे उत्कृष्टता के लिए निरंतर प्रयासरत रहना चाहिए...

हमारी इस युवा पीढ़ी में हमारे इस देश के भावी नेता,व्यापारी,उद्यमी,वैज्ञानिक और इंजिनीयर है,खिलाडी तथा कलाकार है,अधिवक्ता और चिकित्सक है...देश को संतुलित तथा चहुमुखी उन्नती के लिए विभिन्न तरह के पेशेवर तथा कुशल कार्मिक चाहिए...यह बहुत जरुरी है कि आप जो भी कार्य कर रहे है उसे समयबद्ध ढंग से पूरा करने के लिए आप पूर्ण दायित्व तथा निष्ठापूर्वक कार्य करे...विद्यार्थी के रूप में आपको मेहनत से अध्ययन करना चाहिए और आपको यह अध्ययन सच्चा ज्ञान तथा समझ प्राप्त करने के लिए करना चाहिए...अपने नैतिक जीवन में अनुशासित तथा व्यवस्तिथ रहे...इन गुणों से यह सुनिश्चित हो पाता है कि आप अपने सौपे गए कार्य को पूरा कर रहे है और नित्य जरुरी कार्य कर रहे है...इससे जीवन में सीढ़ी दर सीढ़ी प्रगति में सहायता मिलती है और सफलता प्राप्त होती है...भाग्य आपकी अच्छी मेहनत का नतीजा है और अगर आप ढिलाई बरतते हैं तो यह आपके हाथों से खिसक सकता है...इसलिए आप जो भी करे लगन से करे...

जीवन अनुभवों का भण्डार है-सफलता मिलती है तो संतुष्टि होती है, जब कोई ख़ुशी भरी घटना घटती है तो ख़ुशी मिलती है, और जब कोई लक्ष्य पूरा होता है तो हमे गर्व होता है...परन्तु इसी बीच चुनौती भरा समय भी आता है...ऐसे क्षण भी आयेंगे जब जीत हाथ से फिसलती नजर आएगी...असफलता मिलने का मतलब यह नहीं कि हम हार मान ले...इसका मतलब यह है कि हमे और अधिक मेहनत करनी है और तब तक लगे रहना है जब तक हम अपना लक्ष्य प्राप्त नहीं कर लेते...थामस एडिसन ,जिन्होंने कई नवीन अविष्कार किये थे, के बारे में एक प्रसिद्द कहानी है...कहा जाता है कि ९९९९ बार भी थामस एडिसन 'लाइट बल्ब' के अविष्कार में पूरी तरह सफल नहीं हुए थे...तभी किसी ने एडिसन से पूछा,"क्या आप १०००० वी बार भी असफल होने जा रहे है." एडिसन का उत्तर था,"मैं एक बार भी असफल नहीं हुआ हूँ...मुझे हजारों अनुभव हुए है जिनसे मैंने कुछ न कुछ सीखा है...मुझे अभी पर्याप्त अनुभवों से गुजरते हुए सीखना है ताकि मैं वह तरीका सीख़ सकूं जिससे यह बल्ब काम कर सके." एडिसन कभी भी असफलता से हतोत्साहित नहीं हुए और उनके अथक प्रयासों के परिणामस्वरूप बल्ब का अविष्कार हुआ...

आज हम ऐसे ज्ञान संपन्न समाज में रह रहे है जहाँ मानव प्रगति रचनात्मकता और नए नए अविष्कारों पर टिकी हुई है...नए विचारों और नयी रचनाओं से ही विश्व में परिवर्तन आएगा...इसीलिए सरकार ने देश में आगामी १० वर्षों को नवाचार दशक घोषित किया है...हमारे देशवासियों में नवीन अविष्कारों को करने की क्षमता है ...इस वर्ष मार्च में राष्ट्रपति भवन में मुख्यतः जमीनी स्तर के अविष्कारकों के अन्वेषणों की एक प्रदर्शनी आयोजित की गयी थी...इस अवसर पर बहुत से दिलचस्प अन्वेषण प्रदर्शित किये गए थे...तीन युवा विद्यार्थियों ने भी इसमें भाग लिया था...उनके अन्वेषण, शारीरिक रूप से अक्षम लोगों की मदद के लिए एक स्वशन संवेदक उपकरण,अस्पतालों में वृद्धों के लिए घावों से बचाव के लिए बिस्तर तथा घरों में कपडे सुखाने के लिए एक मोटर प्रणाली से सम्बंधित थे...ये अविष्कारक सर्वश्रेष्ठ थे, लेकिन सबसे ज्यादा मुझे इस बात ने प्रभावित किया कि उन्होंने दूसरों की भलाई के बारे में सोचा...अपनी प्रगति की यात्रा में हमे दूसरों के प्रति दयाभाव को नहीं भूलना चाहिए...यह मानवतावादी समाज का मूल आधार है...आपको समाज में भेदभाव और विघटन पैदा करने वाले सामाजिक विकारों को समाप्त करने के लिए भी कार्य करना चाहिए...दहेज़,कन्या भ्रूण हत्या,बालिका शिशु हत्या और बाल विवाह के लिए अब कोई जगह नहीं हो सकती...

एक अन्य पहलु जिसे प्रत्येक भारतीय को हर समय ध्यान रखना चाहिए वह है, देश में शांति और सोहार्द का महत्व...इनकी स्थापना तभी हो सकती है जब हम अपने देश के विभिन्न रीति-रिवाजों, खान-पान की आदतों, भाषाओँ, धार्मिक रस्मों, परम्पराओं और संस्कतियों का सम्मानं करे...मुझे ख़ुशी है की भारत स्काउट और गाइड द्वारा देश के विभिन्न भागों में युवा अंतर्राज्य संस्कृतिक आदान प्रदान कार्यक्रम और राष्ट्रीय एकता कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है..इस संगठन को १९८७ में इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय एकता पुरूस्कार प्रदान किया गया था...तथापि, हमे स्वर्गीय प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गाँधी की यह बात भली भांति याद रखना चाहिए कि राष्ट्रीय एकता के कार्य में विश्राम के लिए कोई स्थान नहीं है...


अपनी भारतीयता की समझ और सामूहिक गौरव की भावना पैदा करने के लिए हमे निरतर प्रयास करना चाहिए...युवाओं को विकास और समृधि के कार्यक्रम पर अमल करना चाहिए..उन्हें इस दिशा की और बढ़ना चाहिए...मैं जानती हूँ की भारत स्काउट और गाइड "खरी कमाई " नाम से एक अभियान चला रहा है...इससे युवा अपने आस पास के इलाकों में जायेंगे और कुछ कमाई करने के लिए काम मांगेंगे...उनके द्वारा अर्जित धन को उनकी स्काउट और गाइड इकाई के कार्यों में लगाया जायेगा...इससे उन्हें श्रम के महत्व का पता चलेगा...ऐसी संकल्पनाएँ और मूल्य राष्ट्र निर्माण कार्यों का प्रमुख आधार है...

प्रकृति के प्रति गहरी श्रद्धा रखने वाली सभ्यता होने के नाते हमे इसका प्रचुरता से आनंद उठाना चाहिए...पृथ्वी हम सबकी है और हमे समझदारी से इसके संसाधनों का इस्तेमाल करना चाहिए...इसकी समृद्ध वनस्पति और जीवों को संरक्षित करना चाहिए तथा पर्यावरण अनुकूल नजरिया अपनाना चाहिए...वैश्विक तापमान और जलवायु परिवर्तन हमारे सम्मुख बड़ी चुनौतियां है...लोगो को पर्यावरण अनुकूल बनाने के लिए किया गया प्रत्येक प्रयास इन चुनौतियों पर विजय प्राप्त करने में सहायक होगा...

युवा वृक्षारोपण करके,स्कूलों और घरों को साफ़ सुथरा रखकर औरस्वछता की भावना पैदा करके इसमें मदद कर सकते है...अभिभावक और शिक्षक बच्चों के मार्गदर्शन में अहम् भूमिका निभा सकते है...स्काउट,गाइड,रेंजर और रोवर भाग्यशाली हैं कि उन्हें अनुभवी नायकों का मार्गदर्शन प्राप्त है...मुझे विश्वास है कि वे युवाओं में ऐसे मूल्यों और गुणों का समावेश करेंगे जिनसे उनका जीवन सार्थक बनेगा और अपने कार्य का श्रेष्ठ प्रदर्शन करने के साथ साथ वे बेहतर समाज और एक सुद्रढ़ राष्ट्र के निर्माण के लिए भी कार्य करेंगे...

इन्ही शब्दों के साथ,मैं एक बार फिर स्काउट एवं गाइड आन्दोलन तथा यहाँ उपस्तिथ सभी लोगों को अपनी शुभकामनाए देती हूँ...

धन्यवाद...

जय हिंद....
Victory … Pratibha Patil expresses delight.

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