लार्ड बेडेन पॉवेल का गाइडों को अंतिम सन्देश............

लार्ड बेडेन पॉवेल का गाइडों को अंतिम सन्देश............

प्रिय गाइड्स ,

यह मेरा अंतिम सन्देश है जो मै तुम्हे दे रहा हू...मै तुम्हे केवल यही याद दिलाना चाहता हू कि तुम्हारे जीवन में यही कार्य सबसे महत्वपूर्ण है कि तुम प्रसन्न रहो और दूसरों को प्रसन्न बनाओ...यह बड़ा सरल और सुविधाजनक लगता है न....तुम दूसरों के प्रति भलाई के कार्य करके उन्हें सुखी बनाने से कार्य प्रारंभ करो,तुम्हे अपने सुख की चिंता नहीं करनी है क्योंकि तुम्हे शीघ्र यह पता चल जायेगा की यह सुख अपने आप प्राप्त होता है...जब भी तुम दूसरों को प्रसन्न रखती हो तो इससे तुम्हे भी प्रसन्नता मिलती है...

शादी के बाद जब तुम्हारा अपना घर हो,तो तुम उसे उज्वल बनाकर अपने पति को एक प्रसन्न मानव बनाओगी....इस कार्य के लिए तुम्हे कठोर परिश्रम करना पड़ेगा,परन्तु तुम्हे इसका अपना पुरुस्कार भी मिलेगा...यदि तुम अपने बच्चो को स्वस्थ,साफ़ व व्यस्त रखोगी तो वे प्रसन्न रहेंगे....सुखी बालक अपने माता पिता को स्नेह करते है...एक स्नेहिल बालक से अधिक आनंद तुम्हे कोई और नहीं दे सकता...मुझे विश्वास है की हमे इस जीवन में सुखी रहने के लिए इश्वर का वरदान मिला हुआ है.....उसने हमे सौंदर्य और आश्चर्य से परिपूर्ण दुनिया रहने को दी है और इस प्यारी सी दुनिया को देखने के लिए हमे केवल आँखे ही नहीं अपितु समझने के लिए मस्तिष्क भी दिया है.... यदि हम इसे सही द्रष्टिकोण से देख सके तो हमे पुष्पों में सौंदर्य दिखाई दे सकेगा....

हम ध्यान दे सकते हैकि एक बीज नया पौधा बनता है,जो पुष्प बन कर अपना स्थान नए पुष्पों को देने के लिए समाप्त हो जाता है....मनुष्य की तरह यह पौधा समाप्त हो जाता है परन्तु उसकी जाती नहीं मरती और नई पीड़ी उत्पन्न होकर उस विधाता की योजना को कार्यान्वित करती है...ठीक इसी प्रकार क्या तुम देखती हो कि तुम महिलाएं दो प्रकार से इश्वर की चयनित सेविकाएँ हो....प्रथमतः जाती(वंश) को बढाकर तुम इस संसार से विदा होने वाले नर-नारियों के स्थान को पूरा करने के लिए बच्चो का पालन पोषण करती हो.....दूसरा अपने पति व बच्चों के लिए अच्छी व प्रसन्नचित सहयोगिनी बनकर दुनिया में सुखी परिवारों का निर्माण करती हो....यहाँ तुम गाइडों के रूप में विशेष स्थान पाती हो....सहयोगिनी बनकर यानि अपने पतियों के कार्य और उमंगों में रूचि लेकर तुम सहानुभूति और सुझावों से उसकी मदद कर सकती हो....इस प्रकार तुम उनकी गाइड बनो...अपने बच्चों का लालन पालन करते हुए तुम उनके मन व चरित्र और स्वास्थ को परिपुष्ट कर प्रशिक्षित करती रहो....इस प्रकार तुम उन्हें जीवन का अधिक अच्छा उपयोग और आनंद प्रदान करोगी...इस प्रकार स्नेह और सुख प्रदान कर ,तुम स्वयं के लिए,अपने पती व बच्चों से स्नेह प्राप्त करोगी.....इससे अच्छा संसार में कुछ भी नहीं है....
तुम यह जानोगी कि स्वर्ग कोई ऐसा सुख नहीं है जो मरने के बाद कहीं आकाश में मिलता है,परन्तु स्वर्ग यहीं इस दुनिया में तुम्हारे घर में,तुम्हारे परिवार में है...

इसलिए दूसरों को सुख और मार्गदर्शन(गाइडिंग) दो और इसी से तुम्हे सुख मिलेगा....ऐसा करते हुए तुम वह उद्देश्य पूरा करोगी जो इश्वर तुमसे चाहता है.....इश्वर तुम्हारा साथ दे....

....बेडेन पॉवेल....

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