लार्ड बेडेन पॉवेल का जन साधारण के प्रति सन्देश ....

लार्ड बेडेन पॉवेल का जन साधारण के प्रति सन्देश ....

मेरा जीवन एक अत्यंत सुखी जीवन रहा है,केवल मेरे स्वयं के घर के घेरे में ही नहीं वरन इसके चारों ओर की दुनियां में भी...

मैं , अपने निधन से पूर्व ,यह कहना चाहूँगा की मैं उन लाखों व्यक्तियों के प्रति कितना आभारी हूँ,जिन्होंने मेरे प्रति कृपा द्रष्ट्री बनाये रखी...समय समय पर संसार भर के सभी स्थानों की,जनता की,साथियों और स्काउट बंधुओं की आनंददायक सदभावना मुझे मिली....इस स्नेह से मैं बहुत गंभीर रूप से प्रभावित हुआ हूँ ... यह सदभावना केवल मेरे देशवासियों तक ही सीमित नहीं रही अपितु दुसरे राष्ट्रों के लोगों ने भी मुझे उसी प्रकार मैत्री प्रदान की...यह केवल इसलिए नहीं हुआ कि मैंने उनके लिए कुछ किया,क्योंकि अधिकतर मामलों में तो वे मेरे लिए पूर्णतः अपरिचित थे,परन्तु यह उनकी ओर से उनके उज्वल चरित्र में समाहित दयालुता का प्रदर्शन रहा ...

इससे मुझे जीवन को सुखी बनाने में बहुत सहायता मिली ओर इसी कारण मैं आशा करता हूँ कि अगली पीड़ी में इस दया भावना को ओर अधिक विशालता से अंकुरित और विकसित किया जायेगा,ताकि अधिक से अधिक लोगों के जीवन और अधिक सुखी बनेंगे ...मानवता में शांति तथा सदभावना का आदर्श केवल सिधान्त में ही नहीं वरन व्यवहार में भी सामान्य बन सकेगा...

अपने ८० वर्ष से अधिक के जीवन पर पीछे की ओर द्रष्टिपात करके मैं यह अनुभव करता हूँ कि जीवन कितना छोटा है ओर क्रोध तथा राजनैतिक युद्ध कौशल कितने कम मूल्यवान है....

जीवन में सर्वाधिक मूल्यवान वस्तु यही है कि हम दूसरों के जीवन में सुख के एक अंश को समां सकें ओर इसके लिए अपनी भरसक कोशिश करें....

....बेडेन पॉवेल....

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