बंगलादेश जम्बूरी...आँखों में बसी दिल में कैद ..........

बांग्लादेश जम्बूरी-आँखों में बसी दिल में कैद........(कुणाल मिश्र)
इस कहावत को स्काउटिंग करते हुए सुना तो कई बार था,पर व्यवहार में होते महसूस किया विगत ६ महीनों से.पूरे २० वर्ष के अन्तराल के पश्चात् जब स्काउट गणवेश को पुनः अंगीकार किया तब यह जाना की चाहे गणवेश का रंग बदल गया है पर नहीं बदला है इसको धारण करने पर स्वफूर्त पैदा होने वाला आत्मविश्वास,सुसंस्कार और यह दृढ प्रतिज्ञा की स्काउटिंग के माध्यम से देश की आन,बान और शान को बनाये रखने का उत्तरदायित्व भी इस पवित्र गणवेश को धारण करने वाले शरीर के साथ है।
स्काउट के पश्चात् स्काउटर के रूप में बच्चों को स्काउटिंग करते कराते हुए जब भोपाल प्रवास पर आदरणीय गुरु श्री प्रकाशजी दिसोरिया से यह पता लगा की बांग्लादेश जम्बूरी का निमंत्रण भारत स्काउट गाइड को मिला विजयंत ग्रुप भी इस जम्बूरी में शामिल हो सकता है तो मन एक साथ कई पुरानी स्म्रतियो को जीने लगा.एक स्काउट के लिए जम्बूरी का मायना वही होता है जो शरीर में आत्मा का.जम्बूरी में स्काउटिंग के प्राण बसते है.स्काउटिंग अपने पूर्ण यौवन में खिलती,मुस्कुराती,इठलाती अपने सुविकसित रूप में प्रगट होती है जम्बूरी में.अपने दल के बच्चों को स्काउटिंग का यही सुहाना रूप जीने,समझने के लिए बांग्लादेश जम्बूरी में शामिल होने के लिए आवेदन कर दिया।
९ जनवरी को जब हम इंदौर से भोपाल के लिए रवाना हुए तो अभिभूत थे रेलवे स्टेशन पर मिले प्यार दुलार से,दल के वरिष्ठो के आशीर्वाद से.हम चल पड़े जम्बूरी के लिए मन में तमाम तरह की कल्पनाओं को संजोते हुए..साथ में सुरक्षा कवच था माता-पिता एवं परिजनों,मित्रजनों के शुभाशीर्वाद का।
भोपाल तैयारी शिविर में पहुंचे.मध्य प्रदेश की दल प्रमुख सुश्री नुसरत चौधरी एवं उनकी प्रशिक्षण टीम ने हमे जम्बूरी में होने वाली गतिविधियों में सलंग्न कर दिया.प्रदेश के विभिन्न जिलों से आये हुए स्काउट गाइड के साथ जम्बूरी की तैयारियां करते हुए हम विजयंत दल इंदौर से अपनी पहचान विस्तृत करते हुए मध्य प्रदेश हो गए .और कलकत्ता पहुंचे तो सम्पूर्ण भारत से आये हुए स्काउट गाइड के साथ भारत हो गए.अब हमारी गणवेश के दोनों ओर "इंडिया"लिखा था और गले में था भारत का स्कार्फ.१०३ सदस्यों का दल जब गणवेश की दोनों बाँहों पर भारत की पट्टी और गले में स्कार्फ लगाकर बांग्लादेश जाने के लिए श्री अरूप सरकार एवं श्रीमती अनीता अन्कूल्नेरकर के नेतृत्व में १४ तारीख को प्रातः बांग्लादेश के लिए निकल पड़ा तो यह अहसास हर सदस्य के मन में था की अब उनका हर कृत्य ,कथ्य अब भारत का प्रतिनिधित्व करता है और भारत के मान,सम्मान को बांग्लादेश में बढ़ाना ही उनका कर्त्तव्य है।
भारत की सीमा पार की.बांग्लादेश की सीमा में प्रवेश किया.अहो!अद्भुत!आनंददायक!सीमा पर हमारे भारत स्काउट गाइड दल के स्वागत के लिए मौजूद थे बांग्लादेश स्काउट के प्रतिनिधि,उनका साथ दे रहे थे जिला प्रशासन के अधिकारी.इमिग्रेशन का कार्य जिस त्वरित गति से संपन्न हुआ वह हमारे लिए एक सुखद आश्चर्य था,क्योंकि अब हम मेहमान थे और हमारे साथ थे हमारे वे मेजबान जो अपने कर्त्तव्य के प्रति पूरी तरह मुस्तेद थे.बेनापुल पर हुए इस आत्मीय अभिनन्दन समारोह ने सभी के अंतर्मन को छु लिया.यहीं से स्थापित हो गया एक पारिवारिक रिश्ता जो भारत व बांग्लादेश के बीच सदैव रहा है.सुखद स्मर्तियों को साथ लेकर तीन बसों में सवार हम बांग्लादेश की हरियाली एवं खेतों में लहलहाती खुशहाली को निहारते आगे jaa रहे थे तब यकायक बस रुक गयी,देखा तो सामने माँ ब्रह्मपुत्र अपना aanchal फैलाये अपने विशालतम रूप में कड़ी थी.१५-२० ट्रक,बस एक विशाल जहाज में आ गए.इस जहाज ने २५ मिनिट में हमारी बस को ब्रह्मपुत्र के दुसरे किनारे छोड़ दिया.मानव ने अपनी भौतिक यात्रा कितनी आसान कर ली है ना !रात्रि करीब ९ बजे ढाका के पास मौचक(गाजीपुर)पहुंचे.बांग्लादेश स्काउट के इस भव्य विशाल राष्ट्रीय प्रशिक्षण केंद्र ने आते ही हमे अपना दीवाना बना लिया.लगभग ५० एकड़ में विस्तृत इस राष्ट्रीय प्रशिक्षण स्थल के सुन्दर से सभागार में हमने अपनी पहली रात बिताई.यहाँ भी हमारा स्वागत आत्मीयता भरा रहा.कितने व्यक्तियों ने हमसे हमारी यात्रा की कुशलता पूछी मैं संख्या याद नहीं कर पा रहा हूँ.

अगले दिन सुबह हम जम्बूरी eriina में थे.कल यहाँ बांग्लादेश की राष्ट्रपति श्रीमती शेख हसीना जम्बूरी का औपचारिक शुभारम्भ करने आएँगी,विशाल eriinaa के तीनों तरफ असंख्य तम्बुओं की श्रंखला दिखाई दे रही थी.पूरी जम्बूरी को पांच गाँवों में विभाजित किया गया था.हर गाँव में तीन सब कैंप थे और हर सब कैंप में लगभग सौ तम्बू और हर तम्बू में आठ लोग.करीब १०००० स्काउट गाइड का यह अनुशासित मेला chahunaur अपनी अनुशासित छठा बिखेर रहा था.हमारे भारतीय दल को तीन भागो में विभाजित कर ग्राम-१,ग्राम-२ अवं ग्राम -३ की और रवाना कर दिया गया. ग्राम-१ में सब कैंप ३ में सब कैंप चीफ से मुलाकात ki to उन्होंने हमे अपने ठीक सामने जगह दी.स्काउटिंग शुरू हो चुकी थी.नए नए पेटी पैक तम्बू हम सभी ने मिलकर लगाये और इस तरह तैयार था हमारा वह बसेरा जो आगामी नौ दिनों तक हमारा घर रहेगा.निर्माण की ख़ुशी को बच्चों ने महसूस किया इस वक्त क्योंकि इस तम्बू निर्माण में उन सभी की भी सक्रिय भूमिका थी.स्काउटिंग ने अपना पाठ padhnaa शुरू कर दिया था.तम्बू में निचे घास बिछाकर उस पर ग्राउंड शीट बिछाकर हमने अपने नए रैन बसेरे में प्रवेश किया. आज मुख्य एरिना में कल के उद्घाटन कार्यक्रम का पूर्वाभ्यास हो रहा था.पूरी जम्बूरी आज एकसाथ मैदान में थी और आकर्षण का केंद्र में थे हम और नेपाल.बांग्लादेश में हम दोनों विदेशी थे,और बांग्लादेश का हर बच्चा हम विदेशियों से दोस्ती करना चाहता था,हमारे साथ एक अदद फोटो खिंचवाना चाहता था.

गरिमामय समारोह में बांग्लादेश की राष्ट्रपति शेख हसीना ने जम्बूरी का विधिवत शुभारम्भ किया।अपने सारगर्भित उद्बोधन के पश्चात् उन्होंने स्काउट गाइड से मुलाकात कर उनकी हौंसला अफजाई की.वे हम भारतियों एवं नेपाली दल से विशेष रूप से मुखातिब हुई.

उद्घाटन समारोह के बाद सभी स्काउट गाइड जुट गए उन १४ चलेंजेस को पार करने में जो जम्बूरी में उनके लिए निर्धारित किये गए थे.जीनियस कौन,( जिसमे हर पेट्रोल को सौ प्रश्न हल करने को दिए गए,माय विजन( स्काउटिंग में मैं क्या करना चाहता हूँ),कैंप केयर (विभिन्न प्रकार के गेजेट्स का निर्माण एवं तम्बू की साफ़ सफाई),कैंप फायर (रात्रि सांस्कृतिक कार्यक्रम ).माय ड्रीम ( भविष्य में मैं क्या करना चाहता हूँ),ग्लोबल डेवलपमेंट विलेज (बांग्लादेश में एन.जी.ओ. अवं सरकार के विभिन्न विभागों द्वारा किये जा रहे अच्छे कार्यों की जानकारी ),हाइक(कम्पास की मदद से भ्रमण),सोशल अवेयरनेस (आसपास की सड़कों का पुनः निर्माण एवं वृक्षारोपण)ब्लूमिंग(प्रतिदिन वाकिंग,बी पी कसरत,एयरोबिक्स इत्यादि),फन एंड लर्न (लॉन्ग पुलिंग,नाटिंग गेम्स ,किम गेम्स),क्रास रोड (विभिन्न साहसिक रोमांचक बाधाओं को पार करना जैसे रोप क्लाइम्बिंग,क्रासिंग ,राफ्टिंग,कमांडो एवं मंकी ब्रिज पार करना इत्यादि)फ्रेंड्स एंड नेबर्स(कम से कम सात दोस्त बनाना),वर्क मेन शीप (साइकिल सुधारना,मोम व कागज से वस्तुए बनाना,इलेक्ट्रिक सामानों को जानना,मिटटी के बर्तन बनाना,बुक बाइंडिंग इत्यादि),स्काउट स्किल्स(पायोनियरिंग,फर्स्ट एड एवं अंदाज लगाना).इन गतिविधियों में सलंग्न स्काउट गाइड का समयबोध मनो समाप्त हो गया था.एकमात्र लक्ष्य था किसी भी तरह सभी चेलेन्जेस को पूरा करना. समय पंख लगाकर उड़ रहा था.इसी के साथ एक दीनी भ्रमण राजधानी ढाका के दर्शनीय स्थलों की यात्रा का रहा.शहीदों की याद में बनाये गए विशाल मनमोहक राष्ट्रिय स्मारक,ढाकेश्वरी माता के मंदिर,गुरुद्वारा नानक साहब,लोकसभा,राष्ट्रपति आवास,विशाल वसुंधरा शोपिंग माल,अंतर्राष्ट्रीय ट्रेड फेयर इत्यादि स्थानों का अवलोकन किया।

बांग्लादेश स्काउट संघटन को इन दिनों बहुत नजदीक से जानने,समझाने का अवसर मिला।मैं बहुत प्रभावित हूँ बांग्लादेश स्काउट टीम से,जिनकी अथक मेहनत,अनुशासन,मेहमान नवाजी,दृढ इच्छा शक्ति से उनकी ८ वी जम्बूरी का सफल आयोजन हुआ.पेट्रोल कुकिंग,शानदार एवं उपयोगी गेजेट्स तथा स्काउट गाइड की लगातार हो रही गतिविधियों ने मुझे खासा उद्धेलित किया.सेवा के लिए सदैव तत्पर रोवर स्काउट,रोवर गर्ल स्काउट प्रेरणा स्त्रोत थे.


इसी जम्बूरी के दौरान प्रेसिडेंट स्काउट/रोवर रीयूनियन,वुड बेज होल्डर्स रीयूनियन ,भूतपूर्व स्काउट रीयूनियन,स्काउट पेरेंट्स डे एवं कब बुलबुल डे के आयोजन भी शानदार रहे.

जम्बूरी में बसंत पंचमी के अवसर पर वृहत सरस्वती पूजन का आयोजन भी किसी सुखद आश्चर्य से कम नहीं था.भारत,नेपाल एवं बांग्लादेश के हिन्दू धर्म अनुयायिओं ने श्रद्धा एवं उत्साहपूर्वक इस आयोजन में भाग लिया।

ग्लोबल डेवलपमेंट विलेज में भारतीय दल द्वारा लगाये गए प्रदर्शनीय स्टाल एवं ग्रांड कैंप फायर समारोह में पुरे १०३ सदस्यीय दल द्वारा किये गए "जय हो" की प्रस्तुति को विशेष सराहना मिली.

मिलना बिछड़ना शायद प्रकृति का अनिवार्य नियम है.जम्बूरी का पूर्ण आनंद प्राप्त करते करते विदाई की वह घडी भी आही गयी,जब हमे बिछड़ना था अपने उन देशी विदेशी संगी साथियों से जो बहोत अल्प समय में हमारे अपने हो गए थे.बहोत भरी मन से विदा लेकर फिर मिलने का वादा कर हम वापस हिंदुस्तान लौटे.

आँखों में बसी दिल में कैद इस जम्बूरी में एक व्यक्ति की उपस्तिथि को मैंने कण कण में ,हर व्यक्ति में,सम्पूर्ण फिजां में बड़ी ही शिद्दत के साथ महसूस किया.वह व्यक्ति थे लार्ड बेडेन पावेल ,स्काउटिंग के जनक.विश्व भातृत्व आन्दोलन के इस प्रणेता ने १०० वर्ष पूर्व जो सपना संजोया था वह इतना घनीभूत हो चूका है की सम्पूर्ण विश्व उस जादूगर की दूरद्रष्टि को सलाम करता है.

जम्बूरी का आयोजन होता है युवाओं को साथ साथ लाकर प्रेम की भावना को मजबूत करने और आपसी समझ का वातावरण निर्मित करने के लिए.इस वातावरण में विभिन्न गतिविधियों में सलग्न होकर युवा अपने आपको पहले के मुकाबले कहीं अधिक आत्मनिर्भर,सुसंस्कृत,जिम्मेदार नागरिक के रूप में महसूस करता है.बांग्लादेश जम्बूरी ने यह वातावरण बनाया और अपने उद्देश्य में पूर्णतया सफल रही.

जम्बूरी से इंदौर तो वापस आ गया पर नहीं भूल सकता रोवर स्काउट शावन को जो भारतीय दल की हर छोटी मोती जरुरत को पूरा करने के लिए हमेशा तत्पर रहता था,याद रहेंगे श्री नजमूल हक नाजू जिन्होंने भारतीय दल के भोजन की व्यवस्था को अपनी टीम के साथ शानदार तरीके से अंजाम दिया,याद रहेंगेजम्बूरी चीफ बांग्लादेश स्काउट के चीफ नेशनल कमिश्नर श्री मोहम्द अब्दुल कलाम आजाद एवं नॅशनल कमिश्नर प्रो. नजमा शम्श जो तमाम व्यस्तताओं के बावजूद भारतीय दल के हालचाल पूछने लगभग रोज आते थे. प्रेरणादायी है वे सभी रोवर्स,गर्ल्स इन रोवर्स जो पुरे समय अपनी ड्यूटी बगैर किसी थकावट के अंजाम दे रहे थे.बार्डर पर आते एवं जाते समय शानदार आत्मीय स्वागत करने वाले बांग्लादेश स्काउट के अधिकारी एवं उनका साथ दे रहे बांग्लादेश एड्मीनीसट्रेशन सर्विसेस के श्री डॉ.एम् .ए.हाकिम को मैं हमेशा याद रखूँगा.याद रहेंगे चिकित्सा व्यवस्था से जुड़े वे सर जिन्होंने ग्रुप की गाइड शैली के पैर में फ्रेक्चर होने पर हॉस्पिटल में ले जाकर व्यक्तिगत खर्च से प्लास्टर चढ़वाया और कई बार कहने पर भी हमसे पैसे नहीं लिए की आप तो हमारे मेहमान है.याद रहेंगे नेपाल से आई गंगा मेडम एवं वे स्काउट गाइड जिन्होंने अपने स्नेहिल व्यव्हार से हमे अपना बना लिया.

याद रहेंगे सब कैंप चीफ श्री शेख कामरूल हसन जिन्होंने हर जम्बूरी गतिविधि में हमे भाग लेने के लिए प्रोत्साहित किया . नहीं भूलूंगा उन सभी भारतीय सहभागियों को जो इस जम्बूरी में भारत का प्रतिनिधित्व कर रहे थे,जिन्होंने भारत के मान सम्मान में बढोतरी ही की.अंत में सलाम करना चाहता हूँ उन अनगिनत हाथों को जिनकी इमानदार सक्रिय कोशिशों के बिना जम्बूरी का सफल होना मुश्किल था.

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